छत्तीसगढ़ में नहीं होगा ईसाई धर्म प्रचारक पॉल दिनाकरन का कार्यक्रम, प्रशासन ने बताई वजह

जगदलपुर, छत्तीसगढ़. छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में होने वाले ईसाई धर्म प्रचारक पॉल दिनाकरन के ‘ब्लेस बस्तर प्रेयर फेस्टिवल’ कार्यक्रम को प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने से यह कार्यक्रम रद्द हो गया, जिसके चलते ईसाई समाज में भारी नाराजगी है। इसी वजह से उन्होंने शुक्रवार को जगदलपुर में रैली निकाली और इस बात को लेकर अपना कड़ा विरोध जताया।

ईसाई समाज के आह्वान पर रैली के लिए स्थानीय मैंगो गार्डन में शुक्रवार को सैकड़ों की संख्या में ईसाई समुदाय के लोग इकट्ठा हुए। इस दौरान उन्होंने मैंगो गार्डन से कलेक्ट्रेट कार्यालय तक रैली निकाली और अनुमति ना देने को लेकर ज्ञापन सौंपा। इस दौरान ईसाई समाज के लोगों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की, जिसके चलते कलेक्ट्रेट कार्यालय के पास तनावपूर्ण स्थिति बन गई।

‘ब्लेस बस्तर फेस्टिवल’ के सदस्य पास्टर सुदेश जैकब ने बताया कि यह कार्यक्रम 8, 9 और 10 नवंबर को होने वाला था और इसमें शामिल होने के लिए मसीही समाज के धर्मगुरु डॉ पॉल दिनाकरन अपने परिवार के साथ बस्तर आने वाले थे। लेकिन जिला प्रशासन ने कार्यक्रम का आवेदन निरस्त कर अनुमति नहीं दी। जिसके चलते सालों से किया गया प्रयास विफल हो गया, जिससे मसीह समाज आक्रोशित है।

पास्टर जैकब ने बताया कि प्रशासन ने फेस्टिवल की अनुमति ना देकर हमारे संवैधानिक अधिकारों का हनन किया गया है, जिसके बाद हमने ज्ञापन सौंपकर अपने अधिकारों की मांग की है।

इस कार्यक्रम की सूचना मिलने पर हिन्दू संगठन के सदस्यों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि इस कार्यक्रम का आयोजन धर्मांतरण के लिए किया जा रहा है और उन्होंने कार्यक्रम का विरोध करने की चेतावनी भी दे डाली थी। ऐसे में हिंदू संगठनों की कार्यक्रम से ठीक एक दिन पहले प्रशासन ने अनुमति रद्द कर दी, जिसके चलते ईसाई सामाज गुस्से में है।

इस संबंध में बस्तर पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम में व्यवधान उत्पन्न होने तथा उसमें हंगामा होने की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने उसे स्थगित करने का आदेश जारी किया। इस मामले पर समाज के लोगों ने हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की है, जिस पर सुनवाई जारी है।

उन्होंने बताया कि समाज का एक डेलिगेशन कार्यक्रम स्थगित होने से नाराज होकर कलेक्ट्रेट पहुंचा था और उन्होंने अपनी पूरी बात रखी है। जिसके बाद उन्हें आश्वासन दिया गया है कि उनकी सभी मांगों पर सार्थक बातचीत की जाएगी।

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