दिपाली का त्योहार 5 दिन पहले से शुरू हो जाता है. इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है. धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान धन्वंतरी और माता लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर की पूजा का विधान है. माना जाता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरी की पूजा करने से जातक को आरोग्य की प्राप्ति होती है. वहीं, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा से धन लाभ होता है, जिससे घर में बरकत बनी रहती है. लेकिन, इसके लिए जरूरी है कि उससे जुड़े नियमों की जानकारी का होना.
धनतेरस के दिन लोग सोना, चांदी और बर्तन खरीदते हैं. इसके अलावा, इस दिन एक दीया भी जलाया जाता है. ये दीया शुभता का प्रतीक माना जाता है. माना जाता है कि धनतेरस के दिन दीया जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है. अब सवाल है कि आखिर धनतेरस पर दीया किस दिशा में जलाना चाहिए? दीया जलाते समय किस दिशा में रखें मुंह? धन्वंतरी पूजन किस समय करें?
धनतेरस 2024 की सही तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार त्रयोदशी तिथि की शुरुआत मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजकर 34 मिनट पर होगी, त्रयोदशी तिथि का समापन बुधवार 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 1 बजकर 17 मिनट पर होगा. इसी गोधूल काल में भगवान धनवंतरी की पूजा की जा सकती है. ऐसी स्थिति में धनतेरस 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
धन्वंतरी पूजा का शुभ मुहूर्त
राकेश चतुर्वेदी के मुताबिक, धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरी की पूजा की जाती है. ऐसे में धनतेरस पूजा के लिए शुभ मुहूर्त की शुरुआत गोधूल काल में मंगलवार 29 अक्टूबर शाम 6 बजकर 31 मिनट से 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. इस तरह धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी, गणेश और कुबेर जी की पूजा के लिए कुल 1 घंटा 41 मिनट का समय मिलेगा.
धनतेरस के दिन इस दिशा में जलाएं दीया
धनतेरस के दिन दीप जलाने के लिए, ईशान कोण दिशा को शुभ माना जाता है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक, यह दिशा देवी-देवताओं की मानी जाती है. इस दिशा में दीप जलाने से परिवार के सभी सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है.
इस दिशा में न जलाएं दीया
पश्चिम दिशा को राहु की दिशा माना जाता है. इस दिशा में दीप जलाने से लोगों को अशुभ फल मिल सकते हैं और जीवन में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है.
इस दिशा में हो दीपक की लौ
वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर दिशा की ओर दीपक की लौ होना शुभ होता है. उत्तर दिशा में दीपक रखने से धन में वृद्धि होती है. वहीं, पश्चिम दिशा की ओर दीपक की लौ का जलना बेहद अशुभ बताया गया है. इसलिए इस दिशा में दीपक का मुंह करके नहीं रखना चाहिए.