मनरेगा योजना से दुगनी आमदनी की ओर अग्रसर ’रामकुमार’

एमसीबी.  छत्तीसगढ़ के किसान देश की रीढ़ हैं, जो न केवल अपने परिवार का पोषण करते हैं, बल्कि पूरे देश की खाद्य सुरक्षा में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत के अनेक छोटे किसान विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी प्राकृतिक और आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे ही एक किसान हैं, श्री रामकुमार निवासी ग्राम पंचायत बरदर, जनपद पंचायत खड़गवां, जिला मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए ’’मनरेगा योजना’’ का लाभ उठाकर अपनी आय दोगुनी करने की दिशा में कदम उठाया है।  यह सफलता रामकुमार की व्यक्तिगत आत्मनिर्भर की प्रगति को दर्शाती है, जो सिद्ध करती है कि सरकारी योजनाएं सही तरीके से लागू हों, तो ग्रामीण किसानों का जीवनस्तर को भी बेहतर ढंग से सुधारा जा सकता है। श्री रामकुमार की स्थिति उन छोटे किसानों जैसी थी, जो पानी की कमी से जूझते रहते हैं। उनके पास सीमित भूमि थी, जिस पर वह केवल एक फसल उगा पाते थे। मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण कभी-कभी उनकी एक फसल भी प्रभावित हो जाती थी। परिवार की देखरेख और जीवनयापन के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी के कारण रामकुमार को कठिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। पानी की कमी के कारण वह सब्जियां उगाने में भी असमर्थ थे और अपनी भूमि से पर्याप्त लाभ नहीं कमा पा रहे थे।
मनरेगा योजना के तहत कुआं निर्माण की पहल
रामकुमार को एक दिन मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के बारे में जानकारी मिली। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ-साथ स्थायी संपत्तियों का निर्माण करना है। उन्होंने सोचा कि यदि उनके खेत में एक कुआं बन जाए, तो उनकी खेती की स्थिति में सुधार हो सकता है। रामकुमार ने ग्राम पंचायत बरदर में जाकर कुआं निर्माण के लिए आवेदन किया। उन्होंने अपने जॉब कार्ड क्रमांक 563 के तहत यह आवेदन ग्राम सभा में प्रस्तुत किया गया, जहाँ उनकी पात्रता और आवश्यकता को देखते हुए इसे स्वीकृत कर लिया गया। ग्राम सभा द्वारा स्वीकृत राशि 1,90,475 रु. (एक लाख नब्बे हजार चार सौ पचहत्तर रुपए) थी। जोकि जिला प्रशासन ने इस कार्य के लिए अपनी मंजूरी दी और तकनीकी सहायक राहुल दास ने कार्य का प्राक्कलन तैयार किया। निर्माण कार्य को समय सीमा के भीतर पूरा किया गया। रामकुमार ने भी इस कार्य में सक्रिय भाग लिया और कुआं निर्माण सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
कुएं से बदली रामकुमार की जिंदगी
कुएं के निर्माण के बाद रामकुमार के जीवन में एक नया अध्याय शुरू हुआ। पहले वह सिर्फ एक फसल उगा पाते थे, परंतु अब उनकी भूमि दो फसली हो गई। सबसे पहले उन्होंने हरी सब्जियां उगाने की योजना बनाई और बाजार में बेचना शुरू किया। पहले ही सप्ताह में उन्हें 3000 रुपए की आमदनी हुई, जो उनके लिए एक बड़ी सफलता थी। अब वह नियमित रूप से सब्जियों की बिक्री कर हर सप्ताह इतनी ही आमदनी कर रहे हैं। आधी जमीन पर सब्जियां और बाकी जमीन पर धान की खेती कर रहे है अब रामकुमार सीजन के अनुसार मक्का, चना, गेहूं जैसी फसलें भी उगाने की बात कही हैं।
आय की वृद्धि से रामकुमार हुआ आत्मनिर्भर
रामकुमार का कहना है कि इस वर्ष उनकी आय दोगुनी होने की पूरी संभावना है। पहले जहां वह एक फसल से मुश्किल से गुजारा करते थे, अब सब्जियों और विभिन्न फसलों से उनकी आमदनी में निरंतर वृद्धि हो रही है। उन्होंने मनरेगा योजना को अपनी सफलता का आधार बताया और कहा कि इस योजना ने उनके जीवन को बदल दिया। अब वह आत्मनिर्भर हो चुके हैं और अपने परिवार की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हैं। रामकुमार अब खेती को और विस्तारित करने की योजना बना रहे हैं। वह अन्य किसानों को भी मनरेगा योजना के तहत जल संसाधनों का निर्माण कराने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनका कहना है कि जल की उपलब्धता से खेती में क्रांतिकारी बदलाव आ सकते हैं, और यह हर छोटे किसान के लिए जरूरी है। रामकुमार की यह आत्मनिर्भरता की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सही समय पर सही निर्णय और सरकारी योजनाओं का सदुपयोग किसी व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह बदल सकता है। मनरेगा योजना के तहत कुआं निर्माण ने रामकुमार को न केवल आर्थिक स्थिरता प्रदान की बल्कि उन्हें एक नई उम्मीद और आत्मविश्वास भी दिया है। आज रामकुमार न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, बल्कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और अपने परिवार को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, एमसीबी जिला प्रशासन, और मनरेगा योजना के अधिकारियों को धन्यवाद दिया है। उनका मानना है कि इस योजना ने उन्हें एक नया जीवन दिया है और अब वह सुखी और संपन्न जीवन की ओर अग्रसर हैं।

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